प्रणव मुखर्जी भारत के पूर्व राष्ट्रपति (13 वें ) रह चुके है। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता थे। उन्हें प्रणव दा के नाम से भी संबोधित किया जाता था। अपने जीवन में राजनीति को चार दशक से भी ज्यादा का समय उन्होंने दिया। अपनी कुशल नेतृत्व व तेज दिमाग की वजह से कांग्रेस पार्टी व भारत सरकार के अहम् पदों पर उन्हें नियुक्त किया गया। इन सभी के कारण उन्हें कांग्रेस का चाणक्य भी माना जाता रहा है।
प्रणव मुखर्जी नियमित रूप से डायरी लिखा करते थे जिसमे वे अनुभवों को साझा करते थे और मृत्यु के पश्चात ही इनके प्रकाशन की शर्त राखी थी। इन्हे पुस्तके पढ़ने का भी बहुत शौक था। इन्हें हर विषय का बारीकी से ज्ञान था जिस कारण इन्हे इनसाइक्लोपिडिया के तौर पर भी जाना जाता था। इसके आलावा इन्हे खेलो में इनका पसंदीदा खेल फुटबॉल था। इतिहास में इनका बहुत लगाव था। ये माँ दुर्गा के परम भक्त थे और दुर्गा पूजा पर्व पर तीन दिन का उपवास रखते थे।
इनका पसंदीदा भोज्य पदार्थ मच्छी भात था और इसके आलावा वे मिठाई के भी शौकीन थे। इन्हे कोलकाता का प्रसिद्ध रसोगुल्ला और बालुशाई बहुत पसंद था। बचपन से जिद्दी स्वाभाव के थे। और चॉकलेट खाने का बहुत शौक रखते थे।
व्यक्तिगत परिचय :
नाम | प्रणव मुखर्जी Pranab Mukherjee |
बचपन का नाम | पोल्टू |
जन्म | 11 दिसंबर 1935 में वीरभूम पश्चिम बंगाल के मिराती में। |
पिता | कामदा किंकर मुखर्जी |
माता | राजलक्ष्मी मुखर्जी |
भाई | पीयूष मुखर्जी |
धर्म | हिन्दू (ब्राह्मण ) |
पत्नी | सुभ्रा मुखर्जी |
विवाह | 13 जुलाई 1957 |
पुत्र | अभिजीत मुखर्जी व इंद्रजीत मुखर्जी |
पुत्री | शमिष्ठा मुखर्जी |
भारत के राष्ट्रपति | 25 दिसंबर 2012 |
मृत्यु | 31 अगस्त 2020 |
शिक्षा :
प्रणव मुखर्जी ने कलकत्ता वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। जहाँ से उन्होंने एमए इतिहास ,एमए राजनीतिक विज्ञान से स्नातकोत्तर व कानून की डिग्री (एलएलबी ) प्राप्त की। इसके अलावा उन्हें मानद डी.लिट की उपाधि भी प्राप्त है।
राजनीतिक करियर :
- प्रणव मुखर्जी अपना राजनीतिक करियर प्रारम्भ करने से पूर्व कॉलेज में प्राध्यापक रह चुके है उसके बाद उन्होंने एक पत्रकार के रूप में भी कार्य किया है। इसके आलावा इन्होने 1962 में पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग में कलर्क की नौकरी की। उनका राजनीतिक जीवन की शुरूवात जुलाई 1969 में कांग्रेस पार्टी के पहली बार राज्यसभा सदस्य बनने से हुई।
- इसके बाद वे रुके नहीं और वर्ष 1975 ,1981,1993 ,और 1999 में पुनः चुने गए। श्रीमती इंदिरा गाँधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 31 साल की उम्र में उन्हें औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उपमंत्री बनाया गया।
- वर्ष 1978 में वे कांग्रेस पार्टी की कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बने। और उसी वर्ष इंडिया कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष भी बने।
- 1980 में वे राज्य सभा में सदन के नेता बने।
- 1982 में केंद्रीय वित्त मंत्री के पद पर आसीन हुए। इसके साथ ही उन्हें वाणिज्य मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी मिला। जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1986 में पार्टी से मतभेदों की वजह से उन्हें कांग्रेस पार्टी स बाहर कर दिया गया। जिसके बाद उन्होंने अपने एक राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस की स्थापना की। 1988 में पुनः कांग्रेस में शामिल हुए।
- 1991 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष नियुक्त किये गए। 1995 में वे पी वी नरसिंह राव के मंत्री मंडल में पहली बार विदेश मंत्री बने। 2004 में पहली बार जंगीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीते। और लोकसभा में सदन का नेता बनने के साथ ही देश के रक्षा मंत्री बने। 2009 में पुनः वित्त मंत्री बने।
- 25 दिसंबर 2012 भारत के राष्ट्रपति के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। 2017 में राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या के कारण दोबारा राष्ट्रपति पद के दावेदारी पेश नहीं की।
- राष्ट्रपति के कार्य काल के दौरान इन्होने 1 जुलाई 2017 को पी एम मोदी जी के साथ बटन दबाकर देश के सबसे बड़े कर सुधार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर ) का आगाज किया।
वित्त मंत्री का कार्यकाल :
हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की दूसरी सरकार में प्रणव मुखर्जी को देश का वित्त मंत्री का दायित्व दिया गया। वे इस पद पर दूसरी बार आसीन हुए इससे पूर्व वे वर्ष 1982 में वित्त मंत्री के पद पर आसीन हुए थे। अपने वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई तरह के कर सुधार किये अपने बजट में लड़कियों की साक्षरता और स्वास्थ्य और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जैसी योजनाओ के लिए उचित धन की व्यवस्था की।
इसके आलावा उन्होंने अपने बजट में फ्रिज़ बेनीफिट टैक्स व कमोडिटीज़ ट्रांस्जेक्शन कर को हटाने सहित कई कर सुधार किये। इसके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने आई एम एफ (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ) से भारत के लिए सबसे बड़े ऋण की बातचीत की और ऋण के एक तिहाई हिस्से को बिना इस्तेमाल किये आई एम एफ को वापस लौटा दिया जिसके लिए उन्हें अत्यधिक सराहना मिली। प्रणव मुखर्जी अपने वित्तीय प्रबंधन के लिए जाने जाते है।
श्रीमती इंदिरा गाँधी के वे करीबी माने जाते थे और एक बार उनके एक घंटे से भी अधिक के बजट भाषण के बाद श्रीमती इंदिरा गांघी ने उन्हें मजाक के तौर पर कहा था की दुनिया के सबसे छोटे कद के वितमंत्री ने दुनिया का सबसे लम्बा बजट भाषण दिया।
पुरस्कार / सम्मान :
- अमेरिका के न्यूयॉर्क से प्रकाशित होने वाली पत्रिका यूरोमनी ने 1984 में प्रणव मुखर्जी को एक बेहतरीन वित्त मंत्री बताया था।
- 1997 में उन्हें उत्कर्ष्ठ संसाद चुना गया।
- पद्म विभूषण – 2008
- भारत रत्न – 2019
पुस्तकें :
- द कोलिएशन ईयर्स
- द ड्रामैटिक डिकेड : द इंदिरा गाँधी इयर्स
- द टर्बुलेंट इयर्स
- थॉट्स एंड रिफ्लेक्शन
- मिडटर्म पोल
- इमर्जिंग डाइमेंशन ऑफ़ इंडियन इकोनॉमी
- बियोंड सर्वाइवल
प्रणव मुखर्जी को बीते कुछ समय से स्वास्थ्य विकार होने के कारण 10 अगस्त को दिल्ली कैंट स्थित रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके मस्तिष्क में ब्लड के थक्के जम गए थे ,जिसकी सर्जरी की गयी जांच के बाद इनमे कोरोना संक्रमण पाया गया। ऑपरेशन के पश्चात भी इनकी सेहत में सुधर न हो सका और वे कोमा में चले गए जिस कारण उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ा। और अंततः 31 अगस्त 2020 को उन्होंने अंतिम सांस ली। इस समय ये 84 वर्ष के थे। इनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाहग्रह में हुआ और वे पांच तत्व में हमेशा के लिए विलीन हो गए। इनके निधन पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आलावा देश के गणमान्य लोगो, के साथ साथ विदेशों से भी लोगो ने इन्हे भाव पूर्ण श्रद्धांजलि दी।
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