पैरालंपिक खेल क्या होते हैं , शुरुआत , पैरालंपिक खेलों के जनक , टोक्यो पैरालंपिक 2020 खेलों में भारत का प्रदर्शन [What is Paralympics Games , history , International Paralympic Committee , tokyo Paralympics Games 2020 ]
पैरालंपिक खेल :
आज की इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पैरालंपिक खेल क्या होते हैं और इसमें कौन खिलाड़ी भाग लेते हैं साथ ही इसका पहली बार आयोजन कब किया गया।पैरालंपिक खेल विश्व स्तर पर खेले जाने वाली एक प्रतियोगिता है , जिसमें विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के द्वारा भाग लिया जाता है । यह विश्व भर के दिव्यांग एथलीटों के लिए एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच है जो उन्हें जीवन में कुछ करने का अवसर प्रदान करता है । पैरालंपिक खेलों में विक्लांगता की श्रेणियाँ होती है जैसे एंप्टी, सेरेब्रल पाल्सी, बौद्धिक अक्षमता, दृष्टिहीन, रीढ़ की हड्डी में चोट और लेस ऑट्रेस इनके आधार पर ही खिलाड़ियों को इन खेलों के लिए चयनित किया जाता है। पैरालंपिक खेलों का संचालन International Paralympic समिति अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक कमेटी ( आईपीसी ) के द्वारा किया जाता है।
पैरालंपिक खेलों की शुरुआत :
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक बड़ी संख्या में सैनिक दिव्यांग विकलांग हो गए थे ऐसे में उनके जीवन को पुनः मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 1944 में ब्रिटिश सरकार के आग्रह पर स्टोक मान डेविल अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट सर लुडविंग गुटमान Sir Ludwig Guttmann ने इन घायल सैनिकों की देखभाल के लिए एक जगह नियत की। जहां इनका इलाज संभव हो सके। डॉक्टर लुडविंग गुटमान ने बाद में इन इनके पुनरुत्थान के लिए खेलों को उपयोगी माना और धीरे-धीरे ये खेल प्रतिस्पर्धी खेलों में विकसित हो गए , तब इन्हें अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर गेम्स के नाम से जाना जाता था।
पैरालंपिक खेलों में ग्रेडिंग कैसे तय होती है :
पैरा ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को उनके शारीरिक स्थिति के आधार पर सूचीबद्ध किया जाता है उदाहरण के तौर पर भाला फेंक में भाग लेने वाले सात खिलाड़ी हैं उनमें से दो ऐसे खिलाड़ी है जिनके केवल हाथ में विकलांगता है और बाकी पांच को पूरे बाजू में ही विकलांगता है तो उनको अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाता है ताकि प्रतिस्पर्धा समान स्तर की हो।
आपको बता दें कि जिस तरह से ओलंपिक खिलाड़ियों के वर्गीकरण के लिए उनका वजन और लिंग को आधार माना जाता है उसी प्रकार पैरा खिलाड़ियों में इस बात का ध्यान रखते है कि उनकी शारीरिक स्थिति उनके खेल को किस हद तक प्रभावित कर रही है और इसको आधार मानते हुए उनकी श्रेणी तय की जाती है।
खिलाड़ी के निम्न मानदंड होते हैं :
किसी अंग में कोई कमी , दोनों टांगों की लंबाई में अंतर , छोटा कद , मांसपेशियों में कमजोरी , जोड़ों की गति की समस्या , हाथ पैरों की उंगलियों की धीमी गति , आंखों की समस्या , सीखने की क्षमता में कमी , मांसपेशियों में जकड़न आदि।
पैरालंपिक खेलों का पहली बार आयोजन :
पैरालंपिक खेलों का पहली बार आयोजन 1948 में हुआ था इसे उस समय स्टोक मैडविल गेम्स भी कहा जाता था। लेकिन 1960 में रोम में हुए इन खेलों को पहली बार पैरालंपिक खेल नाम दिया गया। जिसका अर्थ था पैरलल टू ओलंपिक यानी ओलंपिक के समान ।
पैरालंपिक और ओलंपिक खेलों में अंतर :
पैरालंपिक और ओलंपिक खेल समान नहीं होते इनमें अंतर होता है , जहां पैरालंपिक खेल शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के द्वारा खेला जाता है तो वहीं ओलंपिक खेल उन खिलाड़ियों के द्वारा खेला जाता है जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते है। पैरालंपिक खेलों का झंडा , चिह्न और मेडल ओलंपिक खेलों से बिल्कुल अलग होते है । गोलबॉल और बॉस्सिया ऐसे खेल हैं जो केवल पैरालंपिक में शामिल किए जाते हैं, जहाँ गोलबॉल दृष्टिहीन पैरा खिलाड़ी खेलते हैं तो वही बॉस्सिया शारिरिक रुप से अक्षम पैरा खिलाड़ियों के द्वारा खेला जाता है ।
ओलंपिक खेलों का इतिहास :
पैरालंपिक खेलों का आयोजन पहली बार 1948 में हुआ था लेकिन 1960 में रोम में इन खेलों को पैरालंपिक नाम दिया गया तब से इन्हें चार सालों के अंतराल में कराया जाता है बीच में कुछ समय इन खेलो का आयोजन निश्चित समय अंतराल में नहीं हो पाया था लेकिन अब यह अपने निर्धारित चार साल के अंतराल में ही होते हैं। इन खेलो को ओलंपिक खेलों के बाद कराया जाता है।
1960 में इटली की राजधानी रोम में पहली बार पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया था। जिसमें 23 देशों के 400 खिलाड़ियों के द्वारा प्रतिभाग किया गया था पैरालंपिक खेलों में यदि भारत की बात करें तो भारत में पहली बार 1968 में तेल अवीव में हुए पैरालंपिक खेलों में भाग लिया था और यहीं से भारत के पैरालंपिक खेलों की शुरुआत होती है।
1960 रोम पैरालंपिक :
1960 में इटली की राजधानी रोम में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया था। यहां 23 देशों के 400 खिलाड़ियों ने भाग लिया था , इन पैरालंपिक खेलों में सैनिकों के अलावा आम लोगों को भी भाग लेने का अवसर मिला। डॉक्टर गुटमैन इन पैरा ओलंपिक में 400 व्हीलचेयर लेकर आए थे जहां उन्होंने पैरा लोगों के लिए खेलों का आयोजन किया और यहीं से आधुनिक पैरालंपिक खेलों की शुरुआत हुई ।
ब्रिटेन के मार्गेट माघन पैरालंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले खिलाड़ी थे। उन्होंने आर्चरी ( तीरंदाजी ) के खेल में स्वर्ण पदक जीता था।
1964 में टोक्यो में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया था , उसके बाद 1968 में तेल अवीव में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया जहाँ भारत ने पहली बार इन खेलों भाग लिया । इसके बाद इन खेलों का आयोजन इजराइल में किया गया फिर 1972 हिडनवर्ग में और उसके बाद 1976 में म्यूनिख में पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया। 1980 में मास्को में पैरालंपिक खेल होने थे लेकिन राजनीतिक कारणों की वजह से मास्को द्वारा इन खेलों की मेजबानी से इनकार कर दिया गया था , इसके बाद इन खेलों का आयोजन हॉलैंड में किया गया । यहाँ 42 देशों के 2500 पैरा एथलीटों के द्वारा भाग लिया गया । इस पैरालंपिक में पहली बार व्हील चेयर मेराथन रेस को शामिल किया गया ।
इसके बाद 1988 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में पैरालंपिक खेल आयोजित किये गए । यहाँ पहली बार ओलंपिक खेलों के साथ पैरालंपिक खेलों का आयोजन किया गया था , तब से लेकर आज तक इन खेलों का आयोजन ओलंपिक खेलों के साथ हर चार साल बाद ही किया जा रहा है। इसके बाद इन खेलों का आयोजन 1992 बार्सिलोना में , 1996 में अटलांटा में , 2000 में सिडनी में ( यहाँ 132 देशों के पैरालंपिक खिलाड़ियों ने भाग लिया , सिडनी पैरालंपिक खेलों में पहली बार रग्बी और व्हीलचेयर बास्केटबॉल खेल को शामिल किया गया । ) , 2004 में एथेंस ( एथेंस पैरालंपिक खेलों में रिकॉर्ड 135 देशों के 4000 पैरा एथलीटों ने हिस्सा लिया। ) ।
2004 के एथेंस पैरालंपिक खेलों के बाद इनका आयोजन 2008 में बीजिंग में किया गया , यहाँ भारत एक भी पदक नहीं जीत पाया । इसके बाद 2012 में लंदन में पैरालंपिक खेल हुए यहाँ भारत ने एक रजत पदक अपने नाम किया , 2016 में रियो में इन खेलो में भारत ने दो स्वर्ण एक रजत और एक कांस्य पदक जीता । अब तक हुए पैरालंपिक खेलों में भारत ने कुल 12 पदक जीते है । 2020 में इन खेलो का आयोजन जापान की राजधानी टोक्यो में होना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण इन खेलो को 2021 में आयोजित किया गया । यहाँ भारत ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है ।
पैरालंपिक खेलों के जनक :
सर लुडविंग गुटमान को पैरालंपिक खेलों का जनक कहा जाता है। इनका जन्म 3 जुलाई 1899 को जर्मनी के एक यहूदी परिवार में हुआ था। वह एक जर्मन ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट थे , इन्होंने शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग लोगों के उत्थान के लिए पैरालंपिक खेलों की शुरुआत की।
पैरालंपिक खेलों में भारत प्रदर्शन :
भारत ने 1968 में पहली बार पैरालंपिक्स खेलों में भाग लिया था , लेकिन भारत को अपना पहला पैरालंपिक पदक 1972 में मुरलीकांत पेटकर ने तैराकी की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर दिलाया था।
मुरलीकांत पेटकर पैरालंपिक में भाग लेने से पहले भारतीय सेना में थे । 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में रीड की हड्डी में गोली लगने के कारण इनका कमर से नीचे का शरीर लकवा ग्रस्त हो गया था। इसके बावजूद उन्होंने वर्ष 1972 में पैरालंपिक खेलों में भाग लिया और अपने बुलंद हौसलों के दम पर भारत को तैराकी की 50 मीटर फ्री स्टाइल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीताया। इस पदक के बाद ये एक आदर्श बने उन लोगो के लिए जो शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम है । आज भारत के पैरा एथलीट विश्व में अपना परचम लहरा रहे है और दूसरे लोगो को भी जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे है ।
इसके बाद भारत ने पैरालंपिक में पदक जीतना प्रारंभ कर दिया और इसी क्रम में जोगिंदर सिंह बेदी ने 1984 में अपने प्रतिभा से अलग-अलग स्पर्धाओं गोला फेंक , भाला फेंक और चक्का फेंक में एक रजत और दो कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था । भारत के अन्य पैरा खिलाड़ी जैसे दीपा मालिक , देवेंद्र झाझरिया राजेंद्र सिंह , गिरीशा नागराज नागाराजेगौड़ा ने अपनी प्रतिभा से भारत को पदक जीतये।
पैरालंपिक में भारत का अब तक का सफर :
वर्ष | आयोजन स्थल | पदक | खिलाड़ी |
1968 | तेल अवीव | 0 | 10 |
1972 | हाइडेलबर्ग | 01 | 10 |
1984 | न्यूयॉर्क ( यूएसए ) | 04 | 05 |
1988 | सियोल ( दक्षिण कोरिया ) | 0 | 02 |
1992 | बार्सिलोना | 0 | 09 |
1996 | अटलांटा | 0 | 09 |
2000 | सिडनी ( ऑस्ट्रेलिया ) | 0 | 04 |
2004 | एथेंस | 02 | 12 |
2008 | बीजिंग ( चीन ) | 0 | 05 |
2012 | लंदन | 01 | 10 |
2016 | रियो ( ब्राजील ) | 04 | 19 |
2020 | टोक्यो ( जापान ) | 19 | 54 |
टोक्यो पैरालंपिक 2020 खेलों में भारत का प्रदर्शन :
पैरालंपिक खेल 2020 का आयोजन जापान की राजधानी टोक्यो में किया गया , इन खेलों को 24 अगस्त से 5 सितंबर तक खेला गया । इस बार भारत की तरफ से 54 पैरा एथलीटो के द्वारा हिस्सा लिया गया । भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में अब तक का सबसे शानदार प्रदान करते हुए 19 पदक जीत लिए हैं। जिसमें 5 स्वर्ण , 8 रजत और 6 कांस्य पदक शामिल है। भारत तालिका में 24 स्थान पर है।
टोक्यो पैरालंपिक में भारत को पहला स्वर्ण पदक राजस्थान की 19 वर्षीय पैरा एथलीट अवनी लखेरा ने शूटिंग में 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच-1 स्पर्धा में जिताया। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनी। अवनी ने शूटिंग की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच-1 में भाग लिया और इस बार भारत को दोहरी खुशी देते हुए कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही गुजरात की रहने वाली भाविना पटेल ने भारत को टोक्यो पैरा ओलंपिक का पहला पदक दिलाया उन्होंने टेबल टेनिस में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इसके साथ भारत के देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक में रजत पदक जीता। देवेंद्र इससे पहले 2004 एथेंस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक और 2016 रियो पैरालंपिक में भी स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
क्रम | खिलाड़ी का नाम | खेल स्पर्धा | पदक |
1 | अवनी लखेरा | शूटिंग ( 10 मीटर ) | स्वर्ण |
2 | अवनी लखेरा | शूटिंग ( 50 मीटर ) | कांस्य |
3 | भाविना पटेल | टेबल टेनिस | रजत |
4 | सुमित अंतिल | भाला फेंक Javelin Throw | स्वर्ण |
5 | प्रवीण कुमार | ऊंची कूद | रजत |
6 | मरियप्पन थंगावेलू | ऊंची कूद | रजत |
7 | निषाद कुमार | ऊंची कूद | रजत |
8 | योगेश कठुनिया | डिस्कस थ्रो | रजत |
9 | देवेंद्र झाझरिया | भाला फेंक | रजत |
10 | हरविंदर सिंह | तीरंदाजी | कांस्य |
11 | सुन्दर सिंह गुर्जर | भाला फेंक | कांस्य |
12 | शरद कुमार | ऊंची कूद | कांस्य |
13 | सिंहराज आधना | शूटिंग | कांस्य |
14 | मनीष नरवाल | शूटिंग | स्वर्ण |
15 | सिंहराज आधना | शूटिंग | रजत |
16 | प्रमोद भगत | बैडमिंटन | स्वर्ण |
17 | कृष्णा नागर | बैडमिंटन | स्वर्ण |
18 | सुहास एल यतिराज | बैडमिंटन | रजत |
19 | मनोज सरकार | बैडमिंटन | कांस्य |
FAQ :
Q : पैरालंपिक खेलों की शुरुआत कब हुई ?
ANS : पैरालंपिक खेलों का पहली बार आयोजन 1948 में हुआ था इसे उस समय स्टोक मैडविल गेम्स भी कहा जाता था। लेकिन 1960 में रोम में हुए इन खेलों को पहली बार पैरालंपिक खेल नाम दिया गया।
Q : पैरालंपिक खेलों का जनक किसे कहा जाता है ?
ANS : सर लुडविंग गुटमान Sir Ludwig Guttmann को पैरालंपिक खेलों का जनक कहा जाता है।
Q : पैरालंपिक खेलों में भारत ने पहली बार कब भाग लिया था ?
ANS : 1968 में मैक्सिको पैरालंपिक खेलों में भारत ने पहली बार भाग लिया।
Q : भारत को पहला पैरालंपिक पदक कब मिला ?
ANS : भारत को अपना पहला पैरालंपिक पदक 1972 में हिडनवर्ग पैरालंपिक में मुरलीकांत पेटकर ने तैराकी की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर दिलाया था।
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