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नीम करौली बाबा जिन्हें अनुयायी ‘महाराज-जी’ के रूप में भी जाना जाता है, एक हिंदू गुरु और हिंदू देवता हनुमान के भक्त थे। उन्हें 1960 और 70 के दशक में भारत की यात्रा करने वाले कई अमेरिकियों के आध्यात्मिक गुरु होने के लिए भारत के बाहर भी जाना जाता है। जिनमें सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक शिक्षक राम दास और भगवान दास और संगीतकार कृष्ण दास और जय उत्तर हैं।
उनके आश्रम कैंची नैनीताल, वृंदावन, ऋषिकेश, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर के पास नीम करोली गांव, भारत में भूमिआधार, हनुमानगढ़ी और दिल्ली में ताओस और न्यू मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं। नीम करोली बाबा आजीवन भक्ति योग के अनुयायी थे, और उन्होंने दूसरों की सेवा को भगवान की बिना शर्त भक्ति के उच्चतम रूप के रूप में प्रोत्साहित किया।
वे एक कंबल में लकड़ी की बेंच पर बैठते थे। हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करोली बाबा से प्रभावित थीं।

नीम करोली बाबा जीवन परिचय
(Neem Karoli Baba Biography Hindi)
नाम (Name) | लक्ष्मी नारायण शर्मा |
अन्य नाम (Other Names) | नीम करोली बाबा, महाराज जी, कैची धाम बाबा जी, लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा, तलईया बाबा |
जन्म (Date of Birth) | 1900 ई० |
जन्म स्थान (Birth Place) | अकबरपुर गांव, फिरोजाबाद जिला, उत्तर प्रदेश, भारत |
गृहनगर (Hometown) | अकबरपुर गांव, फिरोजाबाद |
निधन (Died) | 11 सितंबर, 1973 वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत |
उम्र (Age) | 73 वर्ष |
फेमस (Famous) | चमत्कारों के लिए |
कैंची धाम (Kainchi Dham) | उत्तराखंड, नैनीताल, भवाली |
शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification) | ज्ञात नहीं |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति (Caste) | ब्राह्मण |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
दर्शन (Philosophy) | भक्ति योग, सेवा |
गुरु (Teacher) | हनुमान जी |
शिष्य (Disciple) | भगवान दास, जय उत्तर, कृष्ण दास, राम दास, राम रानी, सूर्य दास |
प्रभावित लोग (Influence People) | स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग, लैरी पेज, जेफरी स्कोल, डैन कॉटके, जूलिया रॉबर्ट्स, विराट कोहली, अनुष्का शर्मा |
नीम करोली गाँव (Neem Karoli village) | फर्रुखाबाद जिला, यूपी |
नीम करोली रेलवे स्टेशन (Neem Karoli Railway Station) | फर्रुखाबाद जिला, यूपी |
ऑफिशियल वेबसाइट (Official Website) | कोई नहीं |
नीम करोली बाबा परिवार (Neem Karoli Baba Family)
पिता (Father’s Name) | श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा |
माता (Mother’s Name) | ज्ञात नहीं |
पत्नी (Wife) | राम बेटी |
बेटा (Son) | अनेक सिंह, धर्म नारायण शर्मा |
बेटी (Daughter) | गिरजा देवी |
नीम करोली बाबा जीवन परिचय, प्रारंभिक जीवन (Neem Karoli Baba Early Life)
इनका जन्म 1900 के आसपास भारत के उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गाँव में एक धनी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ग्यारह वर्ष की आयु में उनका विवाह एक संपन्न ब्राह्मण परिवार की लड़की से कर दिया गया उसके बाद उन्होंने एक घुमक्कड़ साधु बनने के लिए घर छोड़ दिया।
बाद में वह अपने पिता के अनुरोध पर एक व्यवस्थित विवाहित जीवन जीने के लिए घर लौट आए। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। उनका बड़ा बेटा अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहता है। और उनका छोटा बेटा धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर पद पर रहा जिनका हाल ही में निधन हो गया।
नीम करोली बाबा की कहानी (Neem Karoli Baba Story)
नीम करोली बाबा जिन्हें उस समय बाबा लक्ष्मण दास के नाम से जाना जाता था, ने 1958 में अपना घर छोड़ दिया। राम दास एक कहानी बताते हैं कि बाबा लक्ष्मण दास बिना टिकट के ट्रेन में चढ़े और कंडक्टर ने ट्रेन को रोकने का फैसला किया और फर्रुखाबाद जिले (यूपी) के नीम करोली गांव में नीम करोली बाबा को ट्रेन से उतार दिया।
बाबा को ट्रेन से उतार देने के बाद कंडक्टर ने पाया कि ट्रेन फिर से शुरू नहीं हुई। ट्रेन शुरू करने के कई प्रयासों के बाद किसी ने कंडक्टर को सुझाव दिया कि वे साधु को वापस ट्रेन में चढ़ने दें।
नीम करोली दो शर्तों पर ट्रेन में सवार होने के लिए सहमत हुए पहला रेलवे कंपनी ने नीम करोली गाँव में एक स्टेशन बनाने का वादा किया और दूसरा रेलवे कंपनी अब से साधुओं के साथ बेहतर व्यवहार करे। अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की और नीम करोली बाबा ने मजाक करते हुए ट्रेन में चढ़ गए। ट्रेन में चढ़ने के तुरंत बाद ट्रेन चलने लगी।
लेकिन ट्रेन चालक तब तक आगे नहीं बढ़े जब तक कि साधु ने उन्हें आगे बढ़ने का आशीर्वाद नहीं दिया। बाबा ने आशीर्वाद दिया और ट्रेन आगे बढ़ गई। बाद में नीम करोली गांव में एक रेलवे स्टेशन बनाया गया। बाबा कुछ समय तक नीम करौली गाँव में रहे और स्थानीय लोगों द्वारा उनका नामकरण किया गया।
इसके बाद वह पूरे उत्तर भारत में व्यापक रूप से घूमते रहे। इस दौरान उन्हें कई नामों से जाना जाता था, जिनमें – ”लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा और तिकोनिया वाला बाबा”। जब उन्होंने गुजरात में मोरबी के ववनिया गांव में तपस्या और साधना की तो उन्हें तलैया बाबा के नाम से जाना जाने लगा।
वृंदावन में स्थानीय निवासियों ने उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित किया। उनके जीवन के दौरान कैंची और वृंदावन में दो मुख्य आश्रम बनाए गए थे। समय के साथ उनके नाम पर 100 से अधिक मंदिरों का निर्माण किया गया।
2000 के दशक के उत्तरार्ध में एक और फाउंडेशन विकसित हुआ, ‘लव सर्व रिमेम्बर फाउंडेशन’, जिसका उद्देश्य नीम करोली बाबा की शिक्षाओं को संरक्षित और जारी रखना है। राम दास और लैरी ब्रिलियंट ने सेवा फाउंडेशन की स्थापना की। जो बर्कले, कैलिफोर्निया में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन है। यह अंधेपन को रोकने और इलाज के लिए नीम करोली बाबा की शिक्षाओं को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कैंची धाम आश्रम नैनीताल (Kainchi Dham Ashram Nainital)

वर्षों से नैनीताल से 17 किमी दूर नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर, भवाली मैं स्थित कैंची मंदिर, स्थानीय लोगों के साथ-साथ आध्यात्मिक साधकों और दुनिया भर के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ बन गया है।
प्रत्येक वर्ष 15 जून को कैंची मेला कैंची धाम भंडारा मंदिर के उद्घाटन के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है। यह एक ऐसा उत्सव है जिसमें आमतौर पर एक लाख से अधिक भक्त आते हैं।
कैंची धाम मंदिर का इतिहास (History of Kainchi Dham Temple)
कैंची धाम आश्रम जहाँ वे अपने जीवन के अंतिम दशक में रहे, 1964 में एक हनुमान मंदिर के साथ बनाया गया था। इसकी शुरुआत दो साल पहले दो स्थानीय साधुओं, प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज के लिए यज्ञ करने के लिए बनाए गए एक मामूली मंच से हुई थी।
नीमकरौली बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी शिष्या सिद्धि मां (Siddhi Maa) महाराज की उत्तराधिकारी बनीं। जिसके बाद उन्होंने कैंची धाम मंदिर परिसर (Kainchi Dham Nainital) की पूरी व्यवस्था खुद संभाली। बताया जाता है कि ब्रह्मलीन होने से पहले बाबा ने सिद्धि मां के लिए एक पंक्ति लिखी लिखी थी ‘मां, जहां भी तू रहेगी, वहीं मंगल हो जाएगा।’
सिद्धि मां का जन्म अल्मोड़ा में हुआ था। उनकी 7 बहनें थीं। नैनीताल निवासी तुलाराम साह से उनका विवाह हुआ था। उनके पति नीम करौली बाबा के परम भक्त थे, जिसके बाद वह भी बाबा की भक्त बन गईं। पति के निधन के बाद बाबा की सेवा के लिए उन्होंने घर त्याग दिया था।
28 दिसम्बर 2017 को करीब 92 साल की उम्र में नैनीताल के मल्लीताल स्थित प्रसादा भवन के आवास तीर्थम में सिद्धि मां का महाप्रयाण हो गया था। मां के ब्रह्मलीन होने के बाद कैंची धाम में उनकी भी भव्य प्रतिमा स्थापित कर अलग पूजा कक्ष बनाया गया है। 28 दिसंबर को हर साल उनकी पुण्यतिथि पर कैंची धाम में विशाल भंडारा होता है।
नीम करोली बाबा मृत्यु (Neem Karoli Baba Death)
नीम करोली बाबा का 11 सितंबर, 1973 की सुबह लगभग 1:15 बजे वृंदावन, भारत के एक अस्पताल में डायबिटिक कोमा में जाने के बाद निधन हो गया। वह रात की ट्रेन से आगरा से नैनीताल के पास कैंची धाम लौट रहे थे, जहां उन्होंने सीने में दर्द के कारण एक हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाया था।
वे और उनके यात्रा साथी मथुरा रेलवे स्टेशन पर उतरे थे जहाँ उन्हें ऐंठन होने लगी और उन्होंने श्री धाम वृंदावन ले जाने का अनुरोध किया। वे उन्हें अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में ले गए। अस्पताल में डॉक्टर ने उन्हें इंजेक्शन दिए और उनके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा दिया।
अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा कि वह डायबिटिक कोमा में थे लेकिन उनकी पल्स ठीक थी। महाराज जी जागे और अपने चेहरे से ऑक्सीजन मास्क और अपनी बांह से रक्तचाप मापने वाले बैंड को (बेकार) यह कहते हुए खींच लिया, महाराजजी ने गंगा जल माँगा। फिर उन्होंने कई बार दोहराया, “जया जगदीश हरे”।
उनका चेहरा बहुत शांत हो गया और दर्द के सभी लक्षण गायब हो गए। वे मर चुके थे। उनकी समाधि मंदिर वृंदावन आश्रम के परिसर के भीतर बनायीं गई थी, जिसमें उनका कुछ निजी सामान भी है।
नीम करोली बाबा डॉक्यूमेंट्री (Neem Karoli Baba Documentary)
2021 की डॉक्यूमेंट्री ”विंडफॉल ऑफ ग्रेस सरल” देहाती भारतीय भक्तों के आख्यानों का एक आकर्षक मिश्रण प्रस्तुत करती है, जो प्रसिद्ध अमेरिकी भक्तों के आख्यानों से अलग है। ये भाव नीम करोली बाबा के लिए उनके अत्यधिक प्रेम और समर्पण के माध्यम से न केवल विरोधाभासों को बल्कि दोनों के बीच समानताओं को भी सामने लाने का प्रयास करते हैं।
बाबा के साथ उनकी व्यक्तिगत मुलाकातों ने उनके आध्यात्मिक पथ और अभ्यास के साथ-साथ उनके जीवन के उद्देश्य में नाटकीय बदलाव ला दिया।
नीम करोली बाबा और स्टीव जॉब्स (Neem Karoli Baba and Steve Jobs)
सन 1972 की बात है, स्टीव जॉब्स तंगी में थे। वह भारत यात्रा के लिए बचत कर रहे थे। 1974 में अपने एक दोस्त के साथ स्टीव भारत पहुंचे। कैंचीधाम आश्रम में कई दिनों तक ध्यान किया। उन्हें कई दिव्य अनुभव हुए।
भारत से लौटने के बाद स्टीव जॉब्स ने पहला एपल कंप्यूटर तैयार किया। वह कामयाबी के शिखर पर पहुंचे और एपल पूरी दुनिया में छा गया। कहा जाता है कि ब्रैंड का नाम और लोगो एपल रखने की वजह यह थी कि नीम करौली महाराज को सेब बहुत पसंद था।
नीम करोली बाबा और मार्क जुकरबर्ग (Neem Karoli Baba and Mark Zuckerberg)
फेसबुक के सह-संस्थापक मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के घाटे से परेशान थे। स्टीव जॉब्स ने 2006 में मार्क को नीम करौली बाबा के आश्रम जाने की सलाह दी। मार्क 2008 में भारत आकर कैंचीधाम में रहे। इसके बाद उन्होंने कामयाबी की उन सीढ़ियों पर कदम रखे।
नीम करोली बाबा मंत्र (Neem Karoli Baba Mantra)
मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन ।
करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।
श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।
कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।
कैंची धाम मेला (Kainchi Dham Mela)
अल्मोड़ा रानीखेत राजमार्ग पर स्थित कैची धाम मेला प्रतिवर्ष 15 जून को नीम करौली धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें पूरे देश विदेश से भक्त यहाँ दर्शन को आते हैं।
कैंची धाम कैसे पहुँचे (How to reach Kainchi Dham)
कैंची धाम रेलमार्ग व सड़क मार्ग दोनों से पहुंच सकते है। यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो हल्द्वानी में स्थित है।इसके अलावा यहां से सबसे नजदीक एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से कैची धाम 36 किमी की दूरी पर स्थित है । रेलवे स्टेशन से आप प्राइवेट टैक्सी या फिर उत्तराखंड परिवहन की बसों से धाम तक आसानी से पहुंच सकते है।
FAQ :
Q : नीम करोली बाबा कौन है ?
Ans : नीम करौली बाबा जिन्हें अनुयायी ‘महाराज-जी’ के रूप में भी जाना जाता है, एक हिंदू गुरु और हिंदू देवता हनुमान के भक्त थे। उन्होंने गृहस्थ जीवन जीते हुए अध्यात्म से खुद को जोड़ा। उनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा एक हिंदू गुरु थे और वह भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे।
Q : नीम करोली बाबा अभी कहां हैं ?
Ans : वे अभी इस दुनिया में नहीं है, उन्होंने समाधि ले ली थी। उनकी समाधि मंदिर वृंदावन आश्रम में बनाई गई है।
Q : नीम करोली बाबा जी के बारे में क्या खास है ?
Ans : नीम करोली बाबा भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी बड़े संत के रूप में माने जाते है और उनके चमत्कारों से लोग उन्हे दिव्य पुरुष मानते है। एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स और भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेटर विराट कोहली से लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा तक नीम करोली बाबा के भक्त है।
Q : नीम करोली बाबा जी का असली नाम क्या है ?
Ans : नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था।
Q : नीम करोली बाबा जी की मृत्यु कैसे हुई ?
Ans : नीम करोली बाबा का 11 सितंबर, 1973 की सुबह लगभग 1:15 बजे वृंदावन, भारत के एक अस्पताल में डायबिटिक कोमा में जाने के बाद निधन हो गया।
Q : नीम करोली बाबा जी फेमस क्यों है ?
Ans : क्योंकि बाबा नीम करोली जी के आश्रम, अर्थात कैंची धाम नैनीताल जो व्यक्ति सच्चे मन से जाता है और प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है। इसका उदाहरण है कि जब फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जुकरबर्ग वहां गए तो उसके बाद ही उन्होंने कामयाबी हासिल की थी। हाल ही में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी वहां गए थे।
Q : मार्क जुकरबर्ग कैंची धाम कब आए ?
Ans : मार्क जुकरबर्ग 2008 में भारत आकर कैंचीधाम में रहे।
Q : नीम करोली बाबा जी के गुरु कौन थे ?
Ans : हनुमान जी
Q : नीम करोली बाबा जी की मृत्यु कब हुई ?
Ans : 11 सितंबर, 1973
Q : नीम करोली बाबा जी का स्थान कहां है ?
Ans : उत्तराखंड के नैनीताल जिले मैं भवाली नामक स्थान पर कैंची धाम स्थान है। जिसे नीम करोली बाबा जी का प्रसिद्ध स्थल माना जाता है।
Q : कैंची धाम मेला कब लगता है ?
Ans : यह मेला प्रत्येक वर्ष 15 जून को मनाया जाता है।
Q : कैंची धाम के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन कौन सा है ?
Ans : काठगोदाम रेलवे स्टेशन (हल्द्वानी)
Q : कैंची धाम किस जिले में स्थित है ?
Ans : नैनीताल (उत्तराखंड)
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