केदारनाथ धाम, कहां है, कैसे जाएं, कैसे पहुंचे, कब जाएं, रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्रेशन फीस, ओपनिंग डेट 2023 | Kedarnath Dham In Hindi

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केदारनाथ धाम कहां है (Where is Kedarnath Dham)

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1 केदारनाथ धाम कहां है (Where is Kedarnath Dham)
1.2 केदारनाथ धाम कैसे जाएं (Tracking In Kedarnath Dham)
1.2.3 केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे (How to reach Kedarnath Dham)

केदारनाथ मंदिर लगभग 1200 साल पुराना एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में रूद्रप्रयाग जिले में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर स्थित है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में भगवान शिव और पंच केदार मंदिरों के निर्माण से जुड़ी कई लोक कथाओं का वर्णन मिलता है। केदार (केदारनाथ) को उस स्थान के रूप में नामित करता है जहां भगवान शिव ने अपने जटाओं से पवित्र जल छोड़ा था।

केदारनाथ तीर्थ के पुरोहित इस क्षेत्र के प्राचीन ब्राह्मण हैं। उनके पूर्वज (ऋषि-मुनि) नर-नारायण और दक्ष प्रजापति के समय से ही शिवलिंग की पूजा करते आ रहे हैं। पांडवों के पौत्र राजा जनमेजय ने उन्हें इस मंदिर की पूजा करने और पूरे केदार क्षेत्र को दान देने का अधिकार दिया और वे तब से तीर्थयात्रियों की पूजा कर रहे हैं।

केदारनाथ धाम पूरी जानकारी

निकटतम हवाई अड्डा (Nearest Airport)जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून
निकटतम हेलीपैड (Nearest Helipad)फाटा
निकटतम रेलवे स्टेशन (Nearest Railway Station)ऋषिकेश (228 किलोमीटर)
खुलने की तिथि 2023 (Opening Date 2023)25 अप्रैल 2023 को सुबह 6:20 बजे
क्लोजिंग तिथि 2023 (Closing Date 2023)भाई दूज की पावन पूर्व संध्या पर, केदारनाथ मंदिर 14 नवंबर 2023 से सर्दियों के लिए बंद रहेगा।
तीर्थयात्री हेल्प लाइन नंबर (Pilgrim Help Line Number)0135-2741600
रजिस्ट्रेशन (Registration)Online
रजिस्ट्रेशन फीस (registration Fees)150/ rs.
तापमान (Temperature)April 1.5 °C
May 5.3 °C
June 8.8 °C
July 11.3 °C
August 11.1 °C
September 8.4 °C
October 3.3 °C
November -0.5 °C
वेदर (Weather)यहाँ मौसम ठंडा रहता है, गर्मी में और ठंड में बर्फ गिरती है ,
बारिश भी होती रहती है।
केदारनाथ हाइट (Kedarnath Height)समुद्र तल से 3585 मीटर की ऊंचाई
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी40.8 km
यात्रा करने का समय मई, जून, अक्टूबर
लोकेशन (Location)रुद्रप्रयाद, गढ़वाल, उत्तराखंड
केदारनाथ यात्रा दूरी (गौरीकुंड से पैदल/ट्रेक दूरी) 16 किमी
केदारनाथ मंदिर दर्शन समय सुबह 06:00 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक और
शाम 05:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक

केदारनाथ धाम कैसे जाएं (Tracking In Kedarnath Dham)

केदारनाथ पहुँचने के लिए रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी होकर 20 किलोमीटर आगे गौरीकुंड तक मोटरमार्ग से और 14 किलोमीटर की यात्रा मध्यम व तीव्र ढाल से होकर गुज़रनेवाले पैदल मार्ग द्वारा करनी पड़ती है।

1 – दिल्ली से हरिद्धार (230 किमी) – दिल्ली से ट्रेन या फ्लाइट से हरिद्वार जा सकते हैं और फिर होटल में चेकइन कर सकते हैं। गंगा आरती के लिए शाम को हर की पौड़ी जाएं और फिर अपने होटल में डिनर और नाइट स्टे करें।

ट्रेन से केदारनाथ – अगर आप ट्रेन से केदारनाथ जाने की सोच रहे हैं, तो ट्रेन की सुविधा सिर्फ हरिद्वार तक है। आपको दिल्ली से हरिद्वार के लिए ट्रेन लेनी होगी। हरिद्वार से सड़क के रास्ते या फिर हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाना होगा।

फ्लाइट से केदारनाथ – आप फ्लाइट से केदारनाथ जाना चाहते हैं, तो देहरादून में जॉली ग्रेट एयरपोर्ट है। यह केदारनाथ से लगभग 239 किमी दूर है। देहरादून से, केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर लागत लगभग 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति है।

हेलीकॉप्टर द्वारा केदारनाथ पहुंचने के लिए फाटा से उपलब्ध हेलीकॉप्टर शटल सेवा का विकल्प भी चुन सकते हैं। फाटा से केदारनाथ मंदिर के लिए शटल सेवा की लागत लगभग 2,500 रुपये एकतरफा यात्रा और राउंड ट्रिप के लिए 5,000 रुपये है।

बस से केदारनाथ – अगर आप बस से जाना चाहते हैं, तो आपको दिल्ली से हरिद्वार , हरिद्वार से रूद्रप्रयाग और फिर रूद्रप्रयाग से केदारनाथ जाना होगा।

कार या बाइक से केदारनाथ – अगर आप अपनी कार या बाइक से केदारनाथ जाना चाहते हैं, तो दिल्ली से कोटद्वार और कोटद्वार से रूद्रप्रयाग आना होगा। पौड़ी जिले से होते हुए रूद्रप्रयाग से केदारनाथ पहुंच सकेंगे।

2 – हरिद्वार से रूद्रप्रयाग (165 किमी) – सुबह सीधे जोशीमठ के लिए निकलें। यहां रास्ते में देवप्रयाग और रूद्रप्रयाग के होटल में ठहरें।

3 – रूद्रप्रयाग से केदारनाथ (75 किमी ) – गौरीकुंड के लिए सुबह पैदल, टट्टू , डोली से आप गौरकुंड के लिए ट्रेक शुरू कर सकते हैं। शाम की आरती के लिए केदारनाथ जाएं और फिर यहीं पर नाइट स्टे करें।

4 – केदारनाथ से रूद्रप्रयाग – (75 किमी) – सुबह केदारनाथ जी के दर्शन करें और फिर गौरीकुंड की यात्रा करें। बाद में वापस रूद्रप्रयाग जाएं और होटल में नाइट स्टे करें।

केदारनाथ धाम कब जाएं (When to go to Kedarnath Dham)

अगर आप बारिश और ठंड से बचना चाहते हैं तो आप अप्रैल, मई और जून में केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने जा सकते हैं, क्योंकि इस समय केदारनाथ मंदिर जाने पर बारिश के साथ-साथ ठंड भी कम पड़ती है। लेकिन मई और जून में केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने पर आपको काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी।

केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सितंबर का महीना है, क्योंकि इस समय बारिश भी काफी कम पड़ती है और भीड़ भी काफी कम रहती है।

अगर आप बर्फ बारी एंजॉय करने के साथ-साथ केदारनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको अक्टूबर यानी केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के समय केदारनाथ मंदिर की यात्रा करनी चाहिए।

केदारनाथ के पास घूमने की जगहें

सोनप्रयाग, वासुकी ताल, त्रियुगी नारायण मंदिर, भैरवनाथ मंदिर, गौरीकुंड, रुद्र गुफा, आदि बहुत सी जगह हैं।

केदारनाथ धाम कैसे पहुंचे (How to reach Kedarnath Dham)

केदारनाथ पहुंचने के लिए गौरीकुण्ड से 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बाबा केदार का ये धाम कत्युरी शैली में बना हुआ है। इसके निर्माण में भूरे रंग के बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया है। मंदिर की छत लकड़ी की बनी हुई है, जिसके शिखर पर सोने का कलश है। केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है पहला – गर्भगृह, दूसरा – दर्शन मंडप (जहां पर दर्शनार्थी एक बड़े प्रांगण में खड़े होकर पूजा करते हैं) और तीसरा – सभा मंडप (इस जगह पर सभी तीर्थ यात्री जमा होते हैं।)

केदारनाथ धाम का इतिहास (History of Kedarnath Dham)

यह निश्चित नहीं है कि मूल केदारनाथ मंदिर किसने और कब बनवाया था। “केदारनाथ” नाम का अर्थ है “क्षेत्र का स्वामी” यह संस्कृत शब्द केदारा (“फ़ील्ड”) और नाथ (“भगवान”) से निकला है।

हिंदू किंवदंतियों के अनुसार मंदिर शुरू में पांडवों द्वारा बनाया गया था और यह शिव के सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। माना जाता है कि पांडवों ने केदारनाथ में तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया था। यह मंदिर उत्तरी हिमालय के भारत के छोटा चार धाम तीर्थ यात्रा के चार प्रमुख स्थलों में से एक है और पंच केदार (तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वरतीर्थ) स्थलों में से पहला है।

पंच केदार मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन की तीर्थयात्रा पूरी करने के बाद बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन करना एक अलिखित धार्मिक अनुष्ठान है।

यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा है। यह तेवरम में वर्णित 275 पाडल पेट्रा स्थलमों में से एक है, जो 6वीं और 7वीं शताब्दी के दौरान नयनार नामक 63 संतों द्वारा लिखित एक पवित्र तमिल शैव ग्रंथ है।

8वीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकर की मृत्यु केदारनाथ के पास की पहाड़ियों में हुई थी। इनकी मृत्यु स्थान को चिह्नित करने वाले एक स्मारक के खंडहर केदारनाथ में स्थित हैं। 12वीं शताब्दी तक केदारनाथ निश्चित रूप से एक प्रमुख तीर्थस्थल था, जब इसका उल्लेख गढ़वाल मंत्री भट्टा लक्ष्मीधारा द्वारा लिखित कृति-कल्पतरु में मिलता है।

पंच केदार मंदिरों के निर्माण के बाद पांडवों ने मोक्ष के लिए केदारनाथ में ध्यान, यज्ञ (अग्नि यज्ञ) किया और फिर महापंथ (जिसे स्वर्गारोहिणी भी कहा जाता है) नामक स्वर्गीय मार्ग के माध्यम से स्वर्ग या मोक्ष प्राप्त किया।

केदारनाथ धाम मंदिर की कहानी (Kedarnath Dham Temple Story)

हिमालय के केदार शृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर स्थित है। पंचकेदार की कथा ऐसी मानी जाती है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे।

इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए, पर वे उन्हें वहां नहीं मिले। वे लोग उन्हें खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतध्र्यान हो कर केदार में जा बसे। दूसरी ओर, पांडव भी लगन के पक्के थे, वे उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए।

भगवान शंकर ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले। पांडवों को संदेह हो गया था। अत: भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर शंकर जी रूपी बैल पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा। तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया।

उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मद्महेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। यहां शिवजी के भव्य मंदिर बने हुए हैं।

केदारनाथ धाम ओपनिंग डेट 2023 (Kedarnath Dham Opening Date 2023)

अत्यधिक ठंडे मौसम की स्थिति के कारण मंदिर केवल अप्रैल माह में 25 अप्रैल 2023 को सुबह 6:20 बजे और नवंबर माह में (कार्तिक पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा) भइया दूज के बाद श्री केदार को घृत कमल व वस्त्रादि की समाधि के साथ ही कपाट बंद हो जाते हैं। सर्दियों के दौरान मंदिर के देवता को अगले छह महीनों तक पूजा करने के लिए ऊखीमठ ले जाया जाता है। केदारनाथ को शिव के समरूप ‘केदारखंड के भगवान’ क्षेत्र के ऐतिहासिक नाम के रूप में देखा जाता है।

भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए ये मंदिर केवल 6 महीने ही खुलता है और 6 महीने बंद रहता है। ये मंदिर वैशाखी के बाद खोला जाता है और दीपावली के बाद पड़वा (परुवा तिथि) को बंद किया जाता है।

भाई दूज की पावन पूर्व संध्या पर, केदारनाथ मंदिर 14 नवंबर 2023 से सर्दियों के लिए बंद रहेगा।

केदारनाथ धाम हाइट फीट में (Kedarnath Dham Height in Feet)

यह मंदिर 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर ऋषिकेश (उत्तराखंड) से 223 किमी (139 मील), गंगा की एक सहायक नदी मंदाकिनी नदी के तट पर एक पत्थर का मंदिर है।

केदारनाथ धाम मंदिर की पूरी जानकारी

(Kedarnath Dham Temple Complete Information )

मंदिर के सामने एक छोटा सा खंभा है, जिसमें पार्वती और पांच पांडव राजकुमारों के चित्र हैं। केदारनाथ के चारों ओर ही चार मंदिर हैं, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर जो पंच केदार तीर्थ स्थल बनाते हैं। केदारनाथ मंदिर के अंदर पहले हॉल में पांच पांडव भाइयों, कृष्ण, नंदी, शिव के वाहन और वीरभद्र, शिव के रक्षकों में से एक की मूर्तियां हैं। मुख्य हॉल में द्रौपदी और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

मंदिर की एक असामान्य विशेषता त्रिकोणीय पत्थर के लिंगम में उकेरी गई एक व्यक्ति का सिर है। इस तरह के सिर को पास के एक अन्य मंदिर में देखा जाता है, जहां शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर को बद्रीनाथ और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों के साथ पुनर्जीवित किया था। माना जाता है कि उन्होंने केदारनाथ में महासमाधि प्राप्त कर ली थी। मंदिर के पीछे आदि शंकराचार्य का समाधि मंदिर है।

केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी (रावल) कर्नाटक के वीरशैव समुदाय के हैं। एक रावल (मुख्य पुजारी) और तीन अन्य पुजारी होते हैं।रावल के सहायकों द्वारा उनके निर्देश पर पूजा की जाती है। रावल सर्दियों के मौसम में देवता के साथ ऊखीमठ चले जाते हैं। मंदिर के लिए पांच मुख्य पुजारी हैं और वे बारी-बारी से एक वर्ष के लिए प्रधान पुजारी बनते हैं। केदारनाथ के चारों ओर पांडवों के कई प्रतीक हैं। जिस पहाड़ की चोटी पर पांडव स्वर्ग गए थे, उसे “स्वर्गारोहिणी” के नाम से जाना जाता है, जो बद्रीनाथ से दूर स्थित है।

पांडवों में ज्येष्ठ युधिष्ठिर जब स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तब उनकी एक अंगुली पृथ्वी पर गिरी थी। उस स्थान पर युधिष्ठिर ने एक शिव लिंग की स्थापना की, जो अंगूठे के आकार का है। मशिषरूप को प्राप्त करने के लिए भगवान शिव और भीम ने गदाओं से युद्ध किया। भीम को पश्चाताप हुआ। वह घी से शिव के शरीर की मालिश करने लगा। इस घटना की याद में आज भी इस त्रिकोणीय शिवलिंग की घी से मालिश की जाती है। पूजा के लिए जल और बिल्व-पत्र के पत्तों का उपयोग किया जाता है।

केदारनाथ धाम रजिस्ट्रेशन (Kedarnath Dham Registration)

केदारनाथ यात्रा 2023 पंजीकरण (ईपास) के लिए आपको पूजा, आरती और आवास हेतु उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। केवल ईपास वालों को ही मंदिर में जाने की अनुमति है। केदारनाथ यात्रा ऑनलाइन पंजीकरण के लिए ओटीपी प्राप्त करने के लिए आपको केवल एक चालू मोबाइल नंबर की आवश्यकता है।

सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि यात्रियों को रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ मेडिकल चेकअप भी करवाना होगा। सरकार ने लोगों से अपील की है कि रजिस्ट्रेशन करते समय सही मोबाइल नंबर ही दर्ज करें। पर्यटन विकास परिषद के अनुसार चार धामों पर दर्शन के लिए प्रत्येक दर्शनार्थी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। यात्री अगर अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो उनको अपने वाहन का भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यात्रियों को greencard.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

  • अगर आप वेबासाइट के जरिए रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो आपको registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाना होगा। इसके बाद आप Register/Login पर जाकर नाम, फोन नंबर समेत अन्य जानकारियां देकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
  • इसके अलावा मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप पर आप 8394833833 पर Whatsapp कर सकते हैं। इस माध्यम से रजिस्ट्रेशन के लिए आपको इस नंबर पर yatra मैसेज करना होगा। इसके बाद आपसे कुछ सवाल किए जाएंगे, जिनका जवाब देते हुए आप चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
  • इन दोनों माध्यमों के अलावा आप टोल फ्री नंबर 01351364 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
  • आप touristcareuttarakhand ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, जहां से जानकारियां देकर आसानी से रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
केदारनाथ धाम हेलीकॉप्टर बुकिंग 2023 (Kedarnath Dham Helicopter Booking 2023)

देहरादून से, केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर लागत लगभग 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति है।

अगर आप भी केदारनाथ यात्रा पर जा रहे हैं और हेलीकॉप्टर सेवा का आनंद लेना चाहते हैं तो इसके लिए आफ जीएमवीएन की Website https://heliservices.uk.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं। इसके लिए यात्री को एक तरफ के किराये के लिए गुप्तकाशी से 7750, फाटा से 4720 और सिरसी से 4680 रुपये देने होंगे।

16 जून 2013 केदारनाथ की घटना

उत्तर भारत (उत्तराखंड) में 16 जून 2013 की अचानक आई बाढ़ के दौरान केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र था। मंदिर परिसर, आसपास के क्षेत्रों और केदारनाथ शहर को व्यापक क्षति हुई। लेकिन मंदिर की संरचना को कोई बड़ी क्षति नहीं हुई। इसके अलावा चार दीवारों के एक तरफ कुछ दरारें थीं जो ऊंचे पहाड़ों से बहते मलबे के कारण हुई थीं। मलबे के बीच एक बड़ी चट्टान ने बाधा के रूप में काम किया, जिससे मंदिर को बाढ़ से बचाया गया।

तेज गर्जना के साथ केदारनाथ मंदिर के पास भूस्खलन और कीचड़ धंसना हुआ। लगभग 8:30 बजे मंदाकिनी नदी के नीचे चोराबाड़ी ताल या गांधी ताल से भारी मात्रा में पानी की गड़गड़ाहट सुनाई देने लगी। 17 जून 2013 को सुबह लगभग 6:40 बजे सरस्वती नदी और चोराबाड़ी ताल या गांधी ताल से पानी फिर से भारी गति से गिरने लगा और अपने प्रवाह के साथ बड़ी मात्रा में चट्टानें और बोल्डर लाए। एक विशाल चट्टान केदारनाथ मंदिर के पीछे फंस गई और उसे बाढ़ के कहर से बचा लिया।

मंदिर के दोनों किनारों पर पानी ने उनके रास्ते में सब कुछ नष्ट कर दिया। चश्मदीदों ने भी देखा कि एक बड़ी चट्टान केदारनाथ मंदिर के पीछे की ओर चली गई, जिससे मलबे में बाधा उत्पन्न हुई, नदी के प्रवाह को मोड़ दिया गया और मलबे को नुकसान से बचाते हुए मंदिर के किनारों पर ले जाया गया। मंदिर की रक्षा करने वाली चट्टान को भगवान की चट्टान (भीम शीला) के रूप में पूजा जाता है।

केदारनाथ धाम मंदिर की दूरी (Kedarnath Dham Temple Distance)
स्थान सड़क मार्ग दूरी
दिल्ली से केदारनाथ की दूरी295 km
हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी239 km
ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी216 km
देहरादून से केदारनाथ की दूरी109 km
गंगोत्री से केदारनाथ की दूरी408 km
बद्रीनाथ से केदारनाथ की दूरी218 km
यमुनोत्री से केदारनाथ की दूरी387 km
FAQ :
Q : केदारनाथ मंदिर कहां स्थित है ?

Ans : यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित है।

Q : केदारनाथ मंदिर कितनी ऊंचाई पर स्थित हैं ?

Ans : 3,583 मीटर

Q : केदारनाथ धाम की 2023 ओपनिंग डेट क्या है ?

Ans : 25 अप्रैल 2023

Q : केदारनाथ का ट्रेक कितना लंबा है ?

Ans : 16 km

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