रमेश बाबू प्रगनानंद का जीवन परिचय, ग्रैंडमास्टर | Ramesh Babu Praggnanandhaa Biography in hindi

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भारत के युवा शतरंज खिलाड़ी और ग्रैंडमास्टर रमेश बाबू प्रगनानंद ने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी नार्वे के मैगनस कार्लसन को हराकर एक नया मुकाम हासिल किया है। 16 वर्ष के इस खिलाड़ी ने काले मोहरों से खेलते हुए कार्लसन को 39 वी चाल में हराया। ये 2016 में इतिहास के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने थे। उस समय रमेश 10 साल के ही थे। 2 साल बाद रमेश ,सर्गे कारजाकिन के बाद दूसरे युवा ग्रैंडमास्टर बने। ये तीसरे ऐसे भारतीय शतरंज खिलाड़ी बने हैं ,जिन्होंने कार्लसन को हराया। इनसे पहले विश्वनाथ आनंद और पी. हरि कृष्णा ने कार्लसन को हराया था।

रमेश बाबू प्रगनानंद का जीवन परिचय

पूरा नामरमेश बाबू प्रगनानंद
Ramesh Babu Praggnanandhaa
जन्म 10 अगस्त 2005
उम्र 16 वर्ष
जन्म स्थानचेन्नई, तमिलनाडु, भारत
पिता के.रमेश बाबू (बैंक अधिकारी)
माता नागलक्ष्मी (ग्रहणी)
बड़ी बहन वैशाली रमेश बाबू (शतरंज खिलाड़ी)
कोचशतरंज खिलाड़ी आर.बी रमेश , एम.ए वेलायुधम
पेशा शतरंज खिलाड़ी
प्रसिद्धि युवा ग्रैंडमास्टर
धर्म हिंदू
राष्ट्रीयता भारतीय
हाइट 4 फुट, 6 इंच
वेट45 kg
FIDE रेटिंग 2612 (2022)
पीक रेटिंग2618 (2021)
नेटवर्थ1-5 MILLION

रमेश बाबू प्रगनानंद का जीवन परिचय, जन्म, परिवार, शिक्षा

रमेश बाबू का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई ,तमिलनाडु में हुआ।

इनके पिता का नाम के.रमेश बाबू है ,जो एक बैंक अधिकारी है। इनकी माता का नाम नागलक्ष्मी है ,जो एक ग्रहणी है। इनकी बड़ी बहन वैशाली रमेश बाबू भी शतरंज की खिलाड़ी हैं। जो बालिकाओं में अंडर -12 और अंडर-14 टीम में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप जीत चुकी है। वैशाली ने 12 अगस्त 2018 को लातविया के रीगा में अपना अंतिम नॉर्म पूरा कर वूमेन ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया।

रमेश बाबू प्रगनानंद का शतरंज में करियर

रमेश और उनकी बहन बचपन से कार्टून बहुत ज्यादा देखते थे ,जिससे उनके पिता ने उन दोनों को कार्टून देखने की आदत छुड़ाने के लिए अपने नजदीक शतरंज अकैडमी में दाखिला करा दिया। उस समय इनकी उम्र 5 साल की थी। इन दोनों भाई बहनों ने एम.ए वेलायुधम से शतरंज की बारीकियां सीखी। इसके बाद से ही दोनों भाई बहन शतरंज में पूरी तरह निपुण हो गए।कुछ वर्षों से इनके कोच मशहूर शतरंज खिलाड़ी आर.बी रमेश है।रमेश विश्वनाथ आनंद को अपना आदर्श मानते हैं।

रमेश छोटी उम्र से ही शतरंज खेलने लग गए थे। इन्हें जून 2018 लियोन मास्टर्स टूर्नामेंट में विश्व शतरंज में सातवें नंबर के खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर वेस्ले सो के साथ 4 मैच का रैपिड गेम खेला और इस अनुभवी खिलाड़ी को पहले गेम में ही हरा दिया। लेकिन वेस्ले ने अनुभव का लाभ उठाकर रमेश को हराकर मैच जीतने में सफल हो गए। रमेश की एक खास बात है ,कि वह हारने के बाद भी मुस्कुराते रहते हैं।

नीदरलैंड्स में शाकविक एपेलडूर्न टूर्नामेंट में इन्होंने ग्रैंड मास्टर टाइटल हासिल कर इतिहास रचने के इरादे के साथ हिस्सा लिया। लेकिन वह 9 में से 6 गेम हार गए। लेकिन टूर्नामेंट में चौथी वरीयता के खिलाड़ी होने के बावजूद वह लास्ट में अंत से दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद उन्होंने इटली के छोटे से शहर ओर्तिसेइ में ग्रेडीने ओपन में खेलने गए और इस बार शानदार प्रदर्शन कर दूसरा स्थान हासिल करते हुए ग्रैंड मास्टर बनकर इतिहास रच दिया।

शतरंज खेलने के लिए राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना बहुत ही महंगा होता है और रमेश के स्पॉन्सर ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के अध्यक्ष और रैमको सिस्टम्स के चेयरमैन पी.आर वेंकटराम राजा हैं। जो उनकी यात्रा और रहने में होने वाले खर्च की व्यवस्था करते हैं।

इन्होंने वर्ष 2013 में 7 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप का अंडर-8 ,खिताब जीतकर फिडे मास्टर की उपाधि हासिल की।उसके बाद 2015 में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप का अंडर -10 का खिताब भी हासिल किया।वर्ष 2016 में रमेश10 वर्ष ,10 माह ,19 दिन की उम्र में शतरंज के इतिहास के सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर बने।

2017 नवंबर माह में विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में इन्होंने पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया। उसके बाद 17 अप्रैल 2018 को इन्होंने ग्रीस में हैराक्लियोन फिशर मेमोरियल जीएम नॉर्म टूर्नामेंट में दूसरा ग्रैंडमास्टर नॉर्म प्राप्त किया। जून 2018 को रमेश बाबू ने ग्रेडीने ओपन में लुका मोरोनी को हराकर तीसरा और अंतिम जीएम नॉर्म प्राप्त किया और ग्रैंड मास्टर बनने वाले यह विश्व के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।

जुलाई 2019 में इन्होंने डेनमार्क में एक्स्ट्राकॉन शतरंज ओपन जीता और 12 अक्टूबर 2019 को इन्होंने अंडर-18 टीम में विश्व युवा चैंपियनशिप जीती। उसके बाद दिसंबर 2019 में वे 2600 की रेटिंग हासिल करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए। उस समय में 14 साल 3 महीने और 24 दिन के थे।

इन्होंने शतरंज विश्व कप 2021 में 90वीं वरीयता प्राप्त करके प्रवेश किया।

रमेश बाबू प्रगनानंद का शतरंज के लिए लक्ष्य

उन्होंने अब तक 2500 अंक पार कर लिए हैं ,और उनका लक्ष्य है कि ,वे शतरंज में 3000 अंक हासिल करें।रमेश का लक्ष्य है कि, वह अपनी रेटिंग और खेल में सुधार करेंगे और एक दिन शतरंज के विश्व चैंपियन बनेंगे।इसके लिए वे रोज 4 से 5 घंटे अभ्यास करते हैं।इन्होंने कम उम्र में ही सफलता हासिल कर ली। इसलिए वे अन्य बच्चों व युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत है। रमेश बाबू प्रगनानंद का शतरंज 2022 में प्रदर्शन

इन्होंने टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट 2022 के मास्टरस सेक्शन में प्रदर्शन किया और गेम जीतकर 12वें स्थान पर रहे। भारतीय ग्रैंड मास्टर ,16 वर्षीय खिलाड़ी ,रमेश ने ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स 2022 में विश्व के नंबर एक शतरंज खिलाड़ी मैगनस कार्लसन को हराकर एक गेम जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने। वे शतरंज के इस खिलाड़ी को हराने वाले दुनिया के सबसे छोटे खिलाड़ी बन गए हैं।भारत को इस युवा पर बहुत गर्व है। जिसने इतनी छोटी सी उम्र में भारत का नाम रोशन किया।

रमेश बाबू प्रगनानंद अवॉर्ड्स (Ramesh Babu Praggnanandhaa Awards)

  • इन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू द्वारा 2022 का अर्जुन पुरस्कार दिया गया।

FAQ :

Q : रमेश बाबू प्रगनानंद कौन है ?

ANS -एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी और युवा ग्रैंडमास्टर है।

Q : रमेश बाबू प्रगनानंद की उम्र कितनी है ?

ANS – 16 वर्ष

Q : रमेश बाबू प्रगनानंद के माता पिता का नाम क्या है ?

ANS – पिता – के.रमेश बाबू ,माता – नागलक्ष्मी रमेश बाबू

Q : रमेश बाबू प्रगनानंद का जन्म कब और कहां हुआ ?

ANS – जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई ,तमिलनाडु में हुआ।

Q : रमेश बाबू प्रगनानंद की नेट वर्थ ,सैलरी कितनी है ?

ANS – 1-5 MILLION DOLLER

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